उर्दू को मेवात जिले में दूसरी भाषा का दर्जा देकर शिक्षा की बदहाली को किया जा सकता है खत्म -डॉ जुनैद

तंज़ीम फ़रोग़ ए उर्दू मेवात कि तरफ़ से बड़कली में मीटिंग का आयोजन किया गया। मुख्य उद्देश्य मेवात में शिक्षा की बदहाली को खत्म करना चाहती है। जिससे नूंह मेवात के शिक्षा के पिछड़ापन को कम किया जा सके। डॉ जुनैद ने बताया के उर्दू के साथ-साथ हिन्दी व अंग्रेजी को भी साथ लेकर चलने कि जरूरत है ताकि मेवात में भी शिक्षा का स्तर ऊपर उठ सके। क्योंकि शिक्षा के बिना पिछड़ापन दूर नहीं किया जा सकता। और जिले में उर्दू की शिक्षा कम होती जा रही है। जिससे बच्चे ज्यादातर बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़ रहे है। क्योंकि नूंह (मेवात) जिले के लोग अपने बच्चों को उर्दू की शिक्षा देना भी अनिवार्य समझते है।यदि उर्दू को जिले में दूसरी भाषा का दर्जा दिया जाए तो जिले की साक्षरता दर को बढ़ाया जा सकता है। जिससे मेवात जिले के पिछड़ेपन को खत्म किया जा सके। मेवात एक मेव बाहुल्य क्षेत्र है, जिसमें ज्यादातर लोग उर्दू बोलते हैं। यहां तक कि मेवात का अनपढ़ लोग भी उर्दू बोलना, पढ़ना और लिखना जानते हैं। इसलिए तंजीम फरोग- ए- उर्दू कि मीटिंग कि गई। डॉक्टर जुनैद ने बताया के उर्दू एक मीठी ज़ुबान है, जिसे कोई भी पढ़ सकता है। ये किसी एक धर्म या जातीय भाषा नहीं हैं बल्कि हिंदुस्तान कि अपनी जुबान(भाषा) है जिसे कोई भी सीख या बोल सकता है यह एक तहजीब की भाषा है। जो लोगों समाज में मिठास बनाए रखती है। इसलिए उर्दू फरोग के लिए हम सभी को काम करना चाहिए। ताकि बच्चे उर्दू बोल या पढ़ सके। अक्सर स्कूलों में बच्चे उर्दू पढ़ते है पर एमआईएस पर उर्दू नहीं होती। जिसकी वजह से स्कूलों में उर्दू अध्यापक भर्ती नहीं होते। इसलिए आज से ही अपने बच्चों का एमआईएस पर उर्दू दिलवायें। ताकि बच्चे उर्दू भी पढ़े और बीच में ही अपनी पढ़ाई ना छोड़े। जो बच्चा उर्दू और संस्कृत दोनों पढ़ना चाहता है तो उन्हें दोनों भाषा पढ़नी चाहिए। ये किसी एक जाति धर्म की भाषा नहीं है। इस मौके पर तंजीम फरोग- ए- उर्दू के अध्यक्ष डॉ० मोहम्मद जुनैद, मोहम्मद सद्दीक साहब, ज़ियाउ हक़, अब्दुल नाफ़े,अरशद जमाल, मास्टर मुबारिक चंदैनी, मास्टर जाकिर आकेडा,असगर अली खान, डॉ० अशफाक आलम, मो हारिस, खालिद घासेड़ा, साबिर कासमी साहब,इमरान जैताका, नजमुद्दीन टपकन, कय्युम ,राजुद्दीन, नासिर हुसैन, अनिल मुहानिया, रोहित, अब्दुल कादिर, असलम, आदि मौजूद रहे।