प्रधानमंत्री फसल बीमा राशि कम आने पर किसानों में रोष

वाटिका@तोशाम। कपास की फसल पर पहले सफेद मक्खी का प्रकोप, फिर मानसून की बेरुखी और अब बीमा कम्पनी की मनमर्जी ने किसानों की कमर को पूरी तरह से तोड़ दिया। केन्द्र सरकार के पीएम फसल बीमा योजना के लिए भले ही सरकार अनेक सपने दिखा रही हो। लेकिन धरातल पर कुछ और ही स्थिति ब्यॉ कर रही है। बीमा कम्पनी ने किसानों के खातों में नाममात्र बीमा राशि डालकर जोर का झटका धीरे से दिया है। इस योजना में शामिल होने वाले काफी किसानों को झटका लगा है । क्षेत्र के गांव बुशान में राजस्व विभाग की रिपोर्ट में 50 से 75 प्रतिशत नुकसान दिखाने के बावजूद पीएम फसल बीमा योजना ने खराबा रिपोर्ट को नाममात्र दर्शाकर किसानों को कम मुआवजा जारी कर किसानों के साथ मजाक किया है। किसान बीमा कंपनियों की मनमर्जी को न्यायलय में ले जाने का मन बना रहे हैं । पिछले कुछ सालों से किसानों का नरमा की तरफ मोह बढ़ता जा रहा है । इस फसल में भले ही लागत बहुत आई लेकिन मुनाफा व बिक्री भी सही होती रही लेकिन कुछ समय से भूमि की ऊर्वरा शक्ति में कमी आने से सफेद मक्खी व उखेला रोग बढ़ रहा है । वर्ष 2020-2021 मे प्राकृतिक मार से किसानों की यह नगदी फसल पूरी तरह तबाह हो गई। इससे महंगे खाद बीज इस्तेमाल तैयार कर पकी फसलें बर्बाद करने से किसानों की कमर टूट गई और उन्होंने जब सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू किया तो सरकार ने आनन फानन में स्पेशल गिरदावरी करवाई और राजस्व विभाग द्वारा 50 से 75 प्रतिशत नुकसान की रिपोर्ट दी। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि फसल बीमा कंपनियों ने अब मुआवजा देते ही अपनी मनमर्जी दिखानी आरंभ कर दी है । कंपनी द्वारा जारी किए गए मुआवजा वितरण में प्रत्येक गांव में असमानता आरंभ कर दी है। पहले कंपनी ने प्रति एकड़ 1650 रुपये प्रीमियम के तौर पर वसूल लिए लेकिन अब सारी फसल बर्बाद होने के बाद किसी को मात्र 2200 रूपए तो किसी किसान को तीन हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा जारी किया गया है। किसानों के खाते में नाम मात्र मुआवजा आते ही क्षेत्र के किसानों में हडकंप मच गया। किसान महान सिंह,सुबे सिंह, रामसिंह, नरेंद्र,रोशन शर्मा,मेहरचंद,मा.मजीत, शमसेर, प्रदीप, जगजीत आदि ने बताया कि बीमा कंपनी ने मुआवजे के नाम पर दी गई राशि को ऊंट के मुहं में जीरे के समान है।