नीला इश्क़

सुनो ना !
रंग जाना चाहती हूँ तुम्हारे रंग में,
ये नीला रंग जो तुम्हे पसन्द है,
उस नीले रंग को पहनकर
बिखर जाना चाहती हूँ तुम पर
उस आसमान की तरह जो
छाया रहे तुम पर हर पहर।
सुनो ना !
जब भी बारिश की कुछ बूंदे
आसमान से आती है
उस वक़्त इंतजार करती
रहती हूँ तुम्हारा, शायद भीग
जाना चाहती हूँ एक हो जाने के लिए,
सुनो ना !
आजकल सब कुछ
खूबसूरत लगता है
मन करता है झूम लू
जी भर के तुम्हारे इश्क में।
सुनो ना !
जब जब तुम्हे याद करके
आईना देखती हूँ तो,
शर्म से लाल हो जाती हूँ
जैसे किसी ने गुलाब को
मेरे गालों पे बिखेर दिया हो।
सुनो ना !
जब जब हवा चलती है तो
अपने बालों को खोल देती हूँ
और सोचती हूँ कि तुम आओ
और संवारो मेरे बालो को,
और ये सोच कर आँखें भी
बंद कर लेती हूँ
और महसूस करती हूँ तुम्हें ।
सुनो ना !
में तुम्हारी राधा नहीं बनना
चाहती और ना ही मीरा,
मै बस तुम्हारी बनना चाहती हूँ।
क्योंकि मैं नहीं चाहती कि
मेरा इश्क़ किसी और जैसा हो,
एक ये इश्क़ ही तो मेरा है
जो तुम्हारे लिए सिर्फ मेरे जैसा हो।
सुनो ना तुम सुन रहे हो ना???
* * * *
–अभिलेखा “उदासी”
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