सचिन पायलट की सिंधिया से मुलाकात के बाद गरमाई राजनीति

दिल्ली.राजस्थान में गहराते राजनीतिक संकट के बीच राज्य के उप मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात की है। इस मुलाकात के गहरे राजनीतिक संकेत हैं और राज्य की अशोक गहलोत सरकार के लिए खतरे की घंटी है। भाजपा जल्दबाजी के बजाय इंतजार करो और नजर रखो की रणनीति पर चल रही है। रविवार (12 जुलाई) शाम सचिन पायलट के ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात के बाद राजनीति गरमा गई है। दोनों नेताओं की ये मुलाकात दिल्ली में हुई है। लगभग 40 मिनट तक चली ये मुलाकात ज्योतिरादित्य सिंधिया के आवास पर हुई। इस मुलाकात के कई मायने निकाले जाने लगे हैं। क्या सचिन पायलट भी ज्योतिरादित्य सिंधिया की राह पर चलेंगे और कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होंगे? हालांकि आखिरी फैसला सचिन पायलट को ही लेना है। मुलाकात से पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सचिन पायलट के समर्थन में एक ट्वीट भी किया। इसमें सिंधिया ने कहा कि सचिन पायलट को दरकिनार किए जाने से मैं दुखी हूं। ये दिखाता है कि कांग्रेस में काबिलियत और क्षमता की कोई अहमियत नहीं है। राजस्थान की राजनीतिक पटकथा भी मध्य प्रदेश की तरह लिखी जा रही है। चार महीने पहले मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में कांग्रेसमें हुई बगावत के बाद वहां पर कमलनाथ सरकार का पतन हो गया था और भाजपा सत्ता में आ गई थी। अब राजस्थान में सचिन पायलट के बागी तेवर कांग्रेस के लिए मुसीबत बनते नजर आ रहे हैं। हालांकि संख्या बल के लिहाज से राजस्थान कांग्रेस के लिए काफी मजबूत है, लेकिन पायलट खेमा लगभग 30 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहा है। उससे संकट बढ़ सकता है। भाजपा पूरे मामले पर कड़ी नजर रखे हुए हैं और उचित समय का इंतजार कर रही है। सूत्रों के अनुसार भाजपा नेतृत्व इस पूरे मामले में जल्दी नहीं करेगा, बल्कि कांग्रेस के अंदर बगावत और तेज होने का इंतजार करेगा। पायलट के साथ कितने लोग हैं और कब तक बाहर आते हैं? इस पर सारी रणनीति टिकी हुई है। पार्टी सूत्रों ने रविवार को कहा कि अगली कार्रवाई की योजना पर निर्णय लेने से पहले भाजपा, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच शक्ति प्रदर्शन के परिणाम का इंतजार करेगी। गहलोत ने सोमवार (13 जुलाई) को कांग्रेस विधायकों की बैठक बुलाई है जिसमें इस बात के स्पष्ट संकेत मिलने की उम्मीद है कि गहलोत और पायलट को कितने विधायकों का समर्थन प्राप्त है।