नेपाल के प्रधानमंत्री का बयान- भारत द्वारा कब्जाई गई जमीन को बातचीत के जरिए वापस हासिल करेंगे

काठमांडू: नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने कहा है कि उनकी सरकार राजनयिक प्रयासों और ऐतिहासिक तथ्यों तथा दस्तावेजों के आधार पर संवाद के जरिये कालापानी मुद्दे का समाधान तलाश करेगी। ओली ने बुधवार को संसद में एक सवाल के जवाब में कहा, ”हम बातचीत के जरिए भारत द्वारा कब्जाई गई जमीन वापस हासिल करेंगे।” उन्होंने दावा किया कि भारत ने कालापानी में सेना तैनात करके नेपाली क्षेत्र में काली मंदिर, ”एक कृत्रिम काली नदी” का निर्माण और अतिक्रमण किया। काली नदी दोनों देशों के बीच सीमा को परिभाषित करती है। ओली ने यह दावा दोनों देशों के दरम्यान चल रहे सीमा विवाद के बीच किया है। नेपाल ने लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को अपने क्षेत्र में दिखाते हुए एक राजनीतिक मानचित्र जारी किया, जिसपर भारत ने सख्त लहजे में नेपाल को किसी भी तरह के ”कृत्रिम विस्तार” से बचने की सलाह दी। भारत और नेपाल के बीच संबंधों में तल्खी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा आठ मई को उत्तराखंड के धारचुला को लिपुलेख दर्रे से जोड़ने वाली 80 किलोमीटर लंबी सामरिक रूप से महत्वपूर्ण सड़क का उद्घाटन करने के बाद शुरू हुई। नेपाल ने सड़क के उद्घाटन पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए दावा किया कि यह सड़क नेपाली क्षेत्र से होकर गुजरती है। भारत ने नेपाल के इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि यह सड़क पूरी तरह से उसके क्षेत्र में आती है। नेपाली अधिकारियों का कहना है कि 1962 में भारत-चीन युद्ध से पहले से ही इस इलाके पर नेपाल का नियंत्रण है। उस समय भारत ने नेपाल के शासकों की अनुमति से कुछ समय के लिए यहां अपनी सेना तैनात की थी, लेकिन फिर उसने अपनी सेना नहीं हटाई। ओली ने संसद में एक सवाल के जवाब में कहा कि वैसे तो सुस्ता जैसे अन्य इलाकों को लेकर भी सीमा विवाद है, लेकिन सरकार की प्राथमिकता लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा है क्योंकि देश की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर किसी अन्य जगह सेना तैनात करके जमीन नहीं कब्जाई गई। उन्होंने कहा, ”हमारे पूर्वजों ने बड़े संघर्षों से इस जमीन को पाया और बचाया है। अगर हम अडिग रहे तो ही अपनी क्षेत्रीय अखंडता का कायम रख पाएंगे।”