कोरोना वायरस की हिसार के वैज्ञानिकों ने खोजी दवा, कोविड 19 के मरीजों पर इस्तेमाल से पहले होगा परीक्षण

हिसार. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तहत काम करने वाले राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र (एनआरसीए) हिसार के वैज्ञानिकों ने कोरोनावायरस की एक दवा खोजने में सफलता पाई है। यदि इसका परीक्षण सफल रहा तो इससे कोविड-19 के मरीजों का इलाज हो सकता है। इंडिय काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च(आईसीएआर) के प्रवक्ता का कहना है कि इस समय कोरोना महामारी विश्व समुदाय के लिए इस सदी के सबसे भयानक संकट के रूप में उभर कर सामने आया है। कोरोना के नियंत्रण हेतु फिलहाल न तो कोई दवा और न ही कोई टीका उपलब्ध है। परंपरागत रूप से एंटीवायरल दवाओं को विकसित करते समय वायरस के किसी एक प्रोटीन को टारगेट किया जाता है। लेकिन वायरस को अपने आप में तेजी से और लगातार परिवर्तन करने की अपनी क्षमता इस तरह की दवाओं को बेअसर कर देती है। वैज्ञानिकों के लिए यह एक बड़ी चुनौती है। विकल्प के तौर पर पिछले एक डेढ़ दशक से वैज्ञानिक मानव कोशिकाओं में विद्यमान लगभग 25 हजार प्रोटीन में से उन प्रोटीन का पता लगाने में जुटे है जो वायरस के लिए तो अत्यंत आवश्यक है। लेकिन कोशिका को अपना जीवन चलाने के अन्य विकल्प विद्यमान रहते है। ऐसी प्रोटीन को टारगेट कर एंटीवायरल दवा बनाना जिसे सामान्यता होस्ट डायरेक्टिड एंटीवायरल होस्ट-डायरेक्टेड एंटीवायरल थैरेपी कहते हैं। इसमें दवा प्रतिरोधी वायरस उत्पन्न करने की क्षमता ना के बराबर होती हैं। आईसीएआर के अधीन कार्यरत राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र हिसार के वैज्ञानिक इस तरह की दवा को विकसित करने में लम्बे समय से प्रयासरत हैं। इस दिशा में पिछले सप्ताह केन्द्र के वैज्ञानिकों ने होस्ट डायरेक्टिड एंटीवायरल थैरेपी विषय पर एक लेख मशहूर अमेरिकन पत्रिका क्लीनिकल माइक्रोबायलोजी रिव्यूज ए प्रेस्टिजियस जर्नल ऑफ दी अमेरिकन सोसाइटी ऑफ माइक्रोबायोलाजी में प्रकाशित किया है। इस लेख में वैज्ञानिकों ने परंपरागत एवं गैरपरंपरागत एंटीवायरल दवा बनाने के तरीकों एवं वायरस की दवा प्रतिरोधी क्षमता पर प्रकाश डाला हैं। कोरोना महामारी के शुरू होते ही केन्द्र के वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसी परंपरागत दवाओं पर तेजी से परीक्षण शुरू किया जिनका उपयोग मनुष्य में पहले कभी न कभी अन्य बीमारियों में हो चुका है और पूर्णतया सुरक्षित मानी जाती है। ऐसी दवाएं सामान्यतया सीधे वायरस पर टारगेट करने की बजाय होस्ट की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती हैं। इस दिशा में एक कम्पाऊंड वीटीसी-एंटीसी1 ने मुर्गी के भ्रूणों को कोरोनावायरस (इन्फैकशियस ब्रांइकाइट्स वायरस) के खिलाफ न केवल पूर्णतया सुरक्षा प्रदान की अपितु भ्रूणों के विकास को भी सामान्य बनाए रखा। तत्पश्चात् इस दवा को अन्य विषाणुओं जैसे एन.डी.वी. (आर.एन.ए. वायरस) एवं बफैलोपॉक्स (डी.एन.ए.वायरस) में भी सफल परीक्षण किया गया। उपरोक्त सभी परिणाम इस ओर इंगित करते है वीटीसी-एंटीसी1 कोविड-19 के खिलाफ कारगर साबित हो सकता है। आईसीएआर का कहना है कि इस दिशा में अभी और परिक्षण जारी हैं।