राजपुरा से प्याज की बोरियों के नीचे छिपाकर लाते थे शराब, यूपी-बिहार, गुजरात और दिल्ली में होती थी सप्लाई

खरखौदा. बाईपास स्थित गोदाम से तस्करी की शराब ठिकाने लगाने के मामले में नामजद होने के बाद पुलिस के सामने सरेंडर करने वाले भूपेंद्र की गिरफ्तारी से एसआईटी ने कई राज खोले हैं। भूपेंद्र से की गई पूछताछ में सामने आया है कि वह पंजाब के राजपुरा स्थित फैैक्ट्री से बिना एक्साइज ड्यूटी के अवैध रूप से आधे दाम पर शराब तस्करी कर लाता था। वह पंजाब के राजपुरा स्थित एनवी शराब फैक्ट्री से अवैध रूप से शराब खरीदकर लाता था। ऐसे में बिना एक्साइज ड्यूटी दिए उसे आधे रेट में ही शराब मिल जाती थी। उसके बाद उसे तस्करी कर अपने ठिकानों तक लेकर आता था। इसमें वह प्याज की भारी मात्रा में खरीद करते थे। बाद में प्याज की बोरियों के नीचे शराब को तस्करी कर लाया जाता था। जिससे वह पकड़ से बच जाते थे। पुलिस की जांच में सामने आया है कि आरोपी ने चार स्थानों पर गोदाम बनाए थे। इसमें एक गोदाम उसने राजपुर में ही बनाया था। जहां कंपनी से शराब खरीदने के बाद उसे गोदाम में रख दिया जाता था। वहां से प्याज व अन्य सब्जी के ट्रकों में इसे लोड कर हरियाणा लाया जाता था। यहां पर आरोपियों ने मटिंडू में एक व अपने गांव सिसाना में दो गोदाम बना रखे थे। इन्हीं गोदामों से आगे शराब की सप्लाई की जाती थी। पुलिस की पूूछताछ में सामने आया है कि तस्कर शराब को प्याज व अन्य सब्जी के ट्रकों में रखकर भेजते थे। इसके लिए ट्रांसपोर्टर से मिलीभगत की जाती थी। जिसमें ऊपर सब्जी और नीचे शराब रखकर शराब बंदी वाले प्रदेश गुजरात व बिहार तक भेजी जाती। इन दोनों प्रदेशों में शराब की सप्लाई कर मोटा मुनाफा कमाया जाता था। जिसमें वह शराब की बोतल के चार से पांच गुना तक रेट वसूलते थे। इसके साथ ही दिल्ली व यूपी में भी सप्लाई की जाती थी। भूपेंद्र व उसका भाई जितेंद्र शराब तस्करी के साथ ही पंजाब से अवैध शराब लाकर मांग के अनुसार उस पर लेबल व ढक्कन लगा देते थे। इतना ही नहीं खुद ही यह लेबल तक लगा देते थे कि यह शराब किस प्रदेश में बेची जा सकेगी। हालांकि बिहार व गुजरात में वह यह मार्का नहीं लगाते थे। वहां शराब बंदी के कारण यह किया जाता था। अन्य प्रदेशों में भेजने की सूरत में उस पर उसी प्रदेश में बिक्री का लेबल लगा दिया जाता था।