महाराणा प्रताप के जीवन से प्रेरणा ले युवा वर्ग: वालिया

महाराणा प्रताप जयंती पर कार्यक्रम का आयोजन कर दी श्रद्वांजलि
सतनाली। वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जैसे महान योद्वाओं ने देश को आजाद करवाने में मुगलों के विरूद्व संघर्ष का बिगुल बजाकर संघर्ष किया तथा अनेक लड़ाईयां लड़ी। महाराणा प्रताप ने अपनी वीरता व शौर्य के बल पर इतिहास में अपना नाम अजर अमर कर दिया। उन्होंने धर्म एवं स्वाधीनता के लिए संघर्ष करते हुए अपना बलिदान दिया। यह बात डा. एल सी वालिया मैमोरियल ट्रस्ट के अध्यक्ष अमित वालिया ने शनिवार को ट्रस्ट व राजपूत सभा के तत्वाधान में आयोजित महाराणा प्रताप की 480वीं जयंती पर उनके चित्र पर पुष्प अर्पित करने के बाद कही। इस मौके पर राजपूत सभा के जिला प्रधान सवाई सिंह राठौड़ ने महाराणा प्रताप के जीवन काल के बारें में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को कुंभलगढ़ राजस्थान में हुआ था। उन्होंने बताया कि महाराणा प्रताप को बचपन में कीका के नाम से जाना जाता था। महारणा प्रताप का राज्याभिषेक गोगुंदा में हुआ था। उन्होंने बताया कि हल्दी घाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप ने 20 हजार राजपूतों को साथ लेकर मुगल सरदार राजा मानसिंह के 80 हजार सैनिकों का मुकाबला किया। महाराणा प्रताप ने अकबर की अधीनता को स्वीकार नही किया। उन्होंने कई वर्षों तक मुगल सम्राट अकबर के साथ संघर्ष किया। इस दौरान उन्होंने युवाओं से महाराणा प्रताप के पदचिन्हों पर चलने की अपील की तथा कोरोना संक्रमण के दौरान लॉकडाउन के नियमों की पालना सुनिश्चित करने का आह्वान भी किया। इस मौके पर एडवोकेट सुंदर गोठवाल, अशोक शेखावत, डा. रामअवतार, कृष्ण राणा, सुनील तंवर, रवि वालिया, निरंजन वालिया, नीरज सतनाली, प्रमोद निमीवाल आदि उपस्थित रहे।