कोरोनावायरस से मुकाबला करने के लिए दुनियाभर की सरकारों और केंद्रीय बैंकों ने अब तक करीब 14 लाख करोड़ डॉलर का पैकेज जारी किया

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कहा कि नए कोरोनावायरस (कोविड-19) की महामारी और उसके आर्थिक असर से निपटने के लिए दुनियाभर की सरकारों और केंद्रीय बैंकों ने अब तक कुल करीब 14 लाख करोड़ डॉलर (76.50 रुपए प्रति डॉलर के भाव पर करीब 1,071 लाख करोड़ रुपए) का पैकेज जारी किया है। आईएमएफ के चेयरमैन लेसेत्जा कन्यागो ने कहा कि कोरोनावायरस की महामारी ने पूरी दुनिया के सामने एक बेहद कठिन चुनौती पेश की है। अंतरराष्ट्र्रीय समुदाय ने अभी तक इस चुनौती पर विजय की घोषणा नहीं की है। उन्होंने शुक्रवार (भारतीय समय के अनुसार गुरुवार की रात) को कहा कि आईएमएफ के फिस्कल ट्र्रैकर के मुताबिक विभिन्न देशों की सरकारों ने वित्तीय सहायता के रूप में करीब 8 लाख करोड़ डॉलर जारी किए हैं। इसके अलावा विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों ने बाजार में 6 लाख करोड़ डॉलर से ज्यादा की नकदी बढ़ाई है। हालांकि विनिमय दर और नकदी का दबाव बड़ी चुनौती बनी हुई है। उन्होंने कहा कि महामारी का लोगों पर जो असर होगा, उसके अलावा इसके भीषण आर्थिक असर भी होंगे। खासकर उभरते बाजारों और विकासशील देशों को, कमोडिटी निर्यातकों और कमजोर स्वास्थ्य प्रणाली वाली अर्थव्यवस्थाओं को भीषण आर्थिक परिणाम झेलने पड़ सकते हैं। इस बीच एक अलग मौके पर आईएमएफ की एमडी क्रिस्टलीना जॉर्जिवा ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी फैलने से पहले ही वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती थी। अब इस महामारी की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था की हालत अधिक खस्ता हो गई है तथा 2020 में गंभीर आर्थिक संकुचन तय है। विश्वबैंक और आईएमएफ की सालाना बैठक के दौरान विकास समिति बैठक को संबोधित करते हुए जॉर्जिवा ने कहा कि इस साल ही पहली छमाही में वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट से बचा नहीं जा सकता।
आईएमएफ की प्रबंध निदेशक ने कहा कि कोविड-19 ने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर ऐसे समय चोट की है जबकि वह पहले से ही व्यापार विवादों, नीतिगत मोर्च पर अनिश्चितता और भू-राजनैतिक तनाव की वजह से काफी सुस्त रफ्तार से आगे बढ़ रही थी। वैश्विक स्तर पर कोरोना वायरस जैसा संकट पहले कभी देखने को नहीं मिला है। इसने कई उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के नीति निर्माताओं के लिए कठिन चुनौती पैदा की है। उन्होंने कहा कि विशेषरूप से ऐसी अर्थव्यवस्थाओं के लिए यह महामारी बड़ी चुनौती है, जहां सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली कमजोर है, क्षमता में कमी और इस महामारी के प्रभावों को कम करने लिए नीतिगत मोर्चे पर कदम बढ़ाने की गुंजाइश भी कम बची है। जॉर्जिवा ने कहा कि कोरोना वायरस से पहले ही वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार की रफ्तार काफी धीमी थी। अब 2020 में वैश्विक अर्थव्यवस्था को गंभीर मंदी का झटका लगने वाला है। उन्होंने कहा कि मध्य अवधि में वैश्विक अर्थव्यवस्था पर अनिश्चितता के बादल घिरे हुए हैं। जॉन हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के आंकड़ों के अनुसार दुनियाभर में कोविड-19 संक्रमित लोगों का आंकड़ा 20 लाख को पार कर गया है। अभी तक यह महामारी दुनियाभर में 1.44 लाख लोगों की जान ले चुकी है। अमेरिका इससे सबसे अधिक प्रभावित है। अमेरिका में इससे 35,000 लोगों की मौत हो चुकी है और 7 लाख से अधिक लोग इससे संक्रमित हैं।