गेहूं खरीद कार्य में शिक्षा विभाग की फौज को मैदान में उतारा

हर खरीद केंद्र पर होगी तैनाती, लॉ एंड आर्डर व सोशल डिस्टेंसिंग की जिम्मेवारी सौंपी
नरेश सोनी
वाटिका@ऐलनाबाद। ऐलनाबाद में गेहूं खरीद कार्य को सुचारू बनाए रखने के लिए शिक्षा विभाग की फौज को मैदान में उतारा गया है। कोरोना के खिलाफ चल रही जंग के दौरान फसल कटाई का महत्वपूर्ण टास्क प्रशासन के समक्ष आया है। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है। इसलिए जिला प्रशासन की ओर से 500 से अधिक अध्यापकों को ड्यूटी मैजिस्ट्रेट की जिम्मेवारी सौंपी जा रही है। इसके अलावा हर केंद्र पर दो टीचरों को खरीद सहायक की जिम्मेवारी दी गई है। स्कूल अध्यापक इस बात का ख्याल रखेंगे कि खरीद केंद्र पर किसी भी किसान, मजदूर व आढ़ती को परेशानी न हों। इसके साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग को भी बनाए रखने का कार्य करेंगे। देश में 25 मार्च से लॉकडाऊन है। पहले 21 दिन का लॉकडाऊन किया गया था, जिसे आज बढ़ाकर 3 मई तक कर दिया गया है। कोरोना से बचाव को लेकर किए गए लॉकडाऊन में किसी को भी घर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं है। इसी वजह से स्कूल, कालेज व शिक्षण संस्थान बंद है। मगर, इन दिनों गेहूं व सरसों का सीजन आ चुका है। किसान अपनी फसल बेचने को बेचैन है। मंडी में फसल के आने पर कोरोना संक्रमण के फैलने की भी आशंका है। इसी वजह से प्रशासन द्वारा सिरसा जिला में खरीद केंद्रों की संख्या में तीन गुणा बढ़ौतरी की गई है। यानि पहले सिरसा जिला में 57 मंडियां व खरीद केंद्र थे। सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए रखने के लिए 143 खरीद केंद्रों को स्वीकृति दी गई है। ताकि मंडियों में भीड़ न जुटें। खरीद कार्य भी हो और संक्रमण का भय भी ना रहें। सरकार की ओर से हर गांव में अथवा उसके आसपास खरीद केंद्र स्थापित किया गया है।
मंडी में खलेगी इस बार मजदूरों की कमी:-
मंडी में खलेगी मजदूरों की कमी प्रशासन की ओर से गेहूं खरीद कार्य के लिए खरीद केंद्रों की संख्या में तीन गुणा वृद्धि किए जाने से मंडियों में मजदूरों की कमी समस्या बनकर उभरेगी। क्योकि इस बार ऐलनाबाद में प्रवासी मजदूरों की संख्या शुन्य है। लॉकडाऊन की वजह से राजस्थान, बिहार व यूपी से मजदूर ऐलनाबाद में नहीं आए है। मंडी में बाहर से आए हुए मजदूरों द्वारा ही शारीरिक मशक्कत का कार्य किया जाता था। स्थानीय मजदूरों के बलबूते खरीद कार्य सम्पन्न करवा पाना बेहद जटिल होगा। इसके साथ ही 200 खरीद केंद्र शुरू होने से हर केंद्र तक मजदूर नहीं पहुंच पाएंगे। पहले 57 जगहों पर खरीद प्रक्रिया होती थी, तब भी किसानों को अपनी बारी का इंतजार करना होता था। मंडी में ढेरी लगाने के लिए जगह की कमी हो जाती थी। ऐसे में चार गुणा केंद्र होने पर मजदूर हर केंद्र तक पहुंच ही नहीं पाएंगे।